हिन्दी ग़ज़ल : ग़म को परे रखकर थोड़ा सा मुस्कुराइए

Webdunia
विवेक हिरदे 
 
सलीके से मुसीबतों की सिलवटें हटाइए 
ग़म को परे रखकर थोड़ा सा मुस्कुराइए।  
 
हवा कीजिए अनबन की गर्द को 
दिलों को मोहब्बत से महकाइए।  
 
गिरतों पर हंसे तो गिरोगे तुम भी 
याद कर अपना वजूद उनको भी उठाइए। 
 
ना हो आप तैराक कोई ग़म की बात नहीं 
डूबता है कोई गर एक तिनका तो बहाइए।   
 
*दैरो हरम* जाने की क्या तुमको गरज है 
इंसानियत जिंदा रख फर्ज अपना निभाइए।  
 
किस अंजाम पर ले जाएगी ये अंधी दौड़ तुम्हें 
इल्म न हो तो कुछ लम्हें घर भी बिताइए।  
 
कर दिया है परेशां तुम्हें, उम्र की रफ्तार ने 
छोड़ बड़प्पन को बेखौफ बचपन में लौट आइए।   
 
फिर नसीब ना हो इंसा का किरदार हमें 
भूल के यादें कसैली, प्यार की मिश्री खाइए।  
*दैरो हरम : धार्मिक स्थल 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

7 दिन शक्कर ना खाने से क्या होता है? क्या सच में कम होगा वजन?

हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं... Friendship Day पर अपने जिगरी दोस्तों को भेजें ये अनमोल शायरी

क्या है अखंड भारत? किन देशों तक था विस्तार?, इतिहास की दृष्टि से समझिए इसके अस्तित्व की पूरी कहानी

इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है इस तरह की फ्रेंड्स थ्योरी, क्या आपके फ्रेंड सर्कल में हैं ये 7 तरह के लोग

इस वजह से हर साल अगस्त में मनाया जाता है फ्रेंडशिप डे, क्या है इस खास दिन का इतिहास?

सभी देखें

नवीनतम

स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है के प्रणेता बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि, जानें जीवन परिचय और 5 अनसुनी बातें

रोज रात सोने से पहले पिएं ये 5 ड्रिंक्स, डाइजेशन और इम्युनिटी के लिए हैं बेस्ट

फ्रेंडशिप डे पर रूठे यारों को इस शायराना अंदाज में मनाएं, सिर्फ दो मिनट में रिश्तों में फिर से आएगी मिठास

रक्षा बंधन पर इस बार बाजार में आई है ये 5 ट्रेंडी राखियां, जरूर करें ट्राई

रूस में भूकंप से हड़कंप, जानिए भारत में किन जगहों पर है भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा

अगला लेख