इस श्वेत-श्याम जीवन में रंगों का संचार है होली…

Webdunia
-डॉ. रामकृष्ण सिंगी 
आज के संदर्भों में…
दैनिक जीवन के तनावों से। 
वर्षभर के बे-बनावों से। 
खीझ के, घुटन के मनोभावों से। 
मुक्ति की फागुनी बयार है होली। 
मस्ती के झरोखे खोलता त्योहार है होली। ।।1।।

भागम-भाग जिन्दगी के ट्रैफिक-जामों में। 
क्षुद्र राजनीति के बेग़ैरत कोहरामों में। 
चिंता की बदलियों से घिरी सुबह-शामों में। 
अनन्‍त से उतरी एक शीतल फुहार है होली। 
कुछ क्षण ही सही, अवसादों से निस्तार है होली। ।।2।।
 
संकीर्णता के गलियारों से। 
आपा-धापी के बाजारों से। 
प्रतिस्पर्धा के गोपन प्रहारों से। 
पीड़ित मनों का संजीवन उपचार है होली। 
हार-जीत भरे श्वेत-श्याम जीवन में,
इंद्रधनुषी रंगों का संचार है होली। ।।3।।
 
और शाश्वत जीवन में.…
युवा मनों में उल्लास के अरमानों का,
रसभरा सतरंगी श्रृंगार है होली। 
वंशी की धुन पर खनकते नूपुर के लिए,
प्रिय के नयन में लरजता प्यार है होली। 
कुंवारी धड़कनों में वासंती राग छेड़ता,
नवेली ललक-सा अनुपम सितार है होली। ।।4।।

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