होली-गीत : रंगों का उत्सव...

राकेशधर द्विवेदी
देखो रे सखी फाल्गुन आ गया 
हर तरफ उल्लास और आनंद छा गया।


 
होली गी‍त बजने लगे 
आमों के पेड़ में बौर लगने लगे 
गेंहू की कोपलें दूधिया दिखने लगी 
कोयल पेड़ों पर चहकने लगी
 
रंग भरे पिचकारी नंदलाल खड़े है
गोपियों के संग ब्रज में होली खेल रहे है
वातावरण है प्रफुल्लित
रोम-रोम है थिरक रहा 
सृष्टि है रोमांचित 
हर एक पुष्‍प निखर रहा 
चारों तरफ अबीर और 
गुलाल का रंग है 
वातावरण में जैसे किसी ने 
घोल दिया भंग है 
इस होली के उत्सव को 
सब मिल कर मनाओ 
बुराई को मन से मिटाओ 
और होलिका जलाओ। 


ऐसी और खबरें तुरंत पाने के लिए वेबदुनिया को फेसबुक https://www.facebook.com/webduniahindi पर लाइक और 
ट्विटर https://twitter.com/WebduniaHindi पर फॉलो करें। 

 
Show comments

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

चित्रकार और कहानीकार प्रभु जोशी के स्मृति दिवस पर लघुकथा पाठ

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

Labour Day 2024 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?