भारत-पाक संबंधों पर हिन्दी काव्य छंद...

सुशील कुमार शर्मा
कुंडलियां (काव्य छंद) ... 



1.
 
कूकर कौआ लोमड़ी, ये होते बदजात,
लठ्ठ से इनको मारिए, तब ये सुनते बात।
तब ये सुनते बात, पाक है लोमड़ ऐसा,
छाती पर हो लात, बिलखता कूकर जैसा।
कह 'सुशील' कविराय, मिटा दो पाक का हौआ,
घुसकर मारो आज, भगा दो कूकर कौआ।
 
2.
 
सीमा पर सेना लड़े, घर उजाड़ें गद्दार,
कश्मीर में केसर जहर, कैसे होय उद्धार।
कैसे होय उद्धार, जहर है घर में अंदर,
सैनिक सीमा पास, ये घर में मस्त कलंदर।
कह 'सुशील' कविराय, जहर इनको दो धीमा,
मन में लगी है आग, खत्म है सहन की सीमा।
 
3.
 
पाकी सेवा में लगे, कुछ हैं वतनहराम,
भारत का खाएं-पिएं, बनकर पाक गुलाम।
बनकर पाक गुलाम, लाज नहीं इन्हें आवे,
रटे पाक का नाम, भारत न इनको भावे।
कह 'सुशील' कविराय, निकालो इनकी झांकी,
कर दो काम तमाम, भगा दो ये नापाकी।
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