Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिन्दी रचना : मुक्तक...

Advertiesment
हमें फॉलो करें muktak kavya rachna
webdunia

सुशील कुमार शर्मा

मन का द्वंद्व गहन हो जब भी,
जीवन में अंतरद्वंद्व हो जब भी।
मुझसे आकर तुम मिल लेना,
सब दरवाजे बंद हो जब भी।
 
कठिन रास्तों पर है चलना,
पग-पग पर बैठे हैं छलना।
संघर्षों से लोहा लेकर,
मंजिल तुमको निश्चित मिलना।
 
कभी खुशी कभी गम जीवन में,
कष्ट कंटकों के आंगन में।
तुमको आगे बढ़ते जाना,
शिखर शौर्य के निज मधुवन में।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आप्रवासियों के सोशल मीडिया रिकॉर्ड की जांच 18 अक्टूबर से