दोहे : गुटका पान चबाय के, लोग दिखाते शान...

सुशील कुमार शर्मा
दोहे
 
तम्बाकू मुंह में रखें, आती मौत करीब।
अपने पीछे छूटते, बनते लोग गरीब।
 
गुटका पान चबाय के, लोग दिखाते शान।
सिगरेटों की आग में, टूटे सब अरमान।
 
लतें तम्बाकू से भरी, बहुत बुरी श्रीमान।
कैंसर कोढ़ बुलाय के, लोग गंवाएं जान।
 
जीवन ये अनमोल है, नशा बिगाड़े बात।
तन-मन को जर्जर करे, घर में दुख बरसात।
 
पान-तम्बाकू छोड़कर, काम करो तुम नेक।
जीवन सुखद बनाय के, खुशियां चुनो अनेक।
 
 

*कुंडलियां*
 
गुटखा-पान चबाय के, लोग दिखाते शान।
सिगरेटों की आग में, टूटे सब अरमान।
 
टूटे सब अरमान, कैंसर द्वार को ताके।
हृदयरोग तड़पाय, मौत आंखों में झांके।
 
कह सुशील कविराय, नशा देता है झटका।
नशा नाश का मूल, मत चबा खैनी-गुटखा।

 
 
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