कविता : प्रभु से पुकार

राकेशधर द्विवेदी
आज अखबार में एक खबर छपी है
भुखमरी से एक किसान की मृत्यु हुई है
 
रोटी, कपड़ा और मकान का सपना लिए
मर गया एक इंसान धूप में तपता हुआ
 
विकास और प्रगति की ये अधूरी तस्वीरें
मिटा न पाई पेट की भूख को पूरी
 
बिक गए खेत और बिक गए खलिहान
बिक गई दुकान और पुश्तैनी मकान
 
हरित क्रांति का ऋण चुकाने के वास्ते
नदी और पोखरा रोज रहे हैं सूख
दिख रहा है शोषण, अत्याचार और भूख
 
आम आदमी आज निराश और परेशान है
फिर भी विकास चूम रहा है विकास के पायदान है
 
आंकड़ों के जाल में फंस गया इंसान है
इन झूठे आंकड़ों से दिग्भ्रमित भी भगवान है
 
नहीं सुन रहा भूखों-असहायों की आवाज
उसके साम्राज्य में भी फैला है गुंडाराज
 
धनी और शक्तिशाली बन गए हैं उसके एजेंट
सुख और सुविधाओं को उन्होंने कर दिया पेटेंट
 
ऐसे में हे प्रभु! एक असहाय क्या करे
पेट की भूख से ऐसे रोज ही मरे? 
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

मेडिटेशन करते समय भटकता है ध्यान? इन 9 टिप्स की मदद से करें फोकस

इन 5 Exercise Myths को जॉन अब्राहम भी मानते हैं गलत

क्या आपका बच्चा भी हकलाता है? तो ट्राई करें ये 7 टिप्स

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.

अगला लेख