कविता : खत लिखना तुम

Webdunia
वेणी शंकर पटेल ‘ब्रज
                      
बार-बार आती हैं यादें खत लिखना तुम
भूल न पाएं मीठी बातें खत लिखना तुम
 
कागज कंगन, बिंदिया और बाहों के घेरे
कैसे काटें लंबी रातें खत लिखना तुम
अब भी करती शैतानी क्या नटखट बेटी
बि‍ट्टू मांगे नई किताबें खत लिखना तुम
 
अब की बार बदलवा दूंगा चश्मा बाबूजी का
मत करना नम अपनी आंखे खत लिखना तुम
 
जां बाकी है, डटे रहेंगे करगिल की चोटी पर ‘ब्रज’
जब सरहद से दुष्मन भागें खत लिखना तुम                         
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सर्दियों में रोजाना हॉट चॉकलेट पीने से क्या होता है सेहत पर असर

तन पर एक भी कपड़ा नहीं पहनती हैं ये महिला नागा साधु, जानिए कहां रहती हैं

सर्दियों में रोजाना पिएं ये इम्यूनिटी बूस्टर चाय, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

क्या सच में ठंडे दूध का सेवन देता है एसिडिटी से राहत

मां गंगा के पवित्र नाम पर दें बेटी को प्यारा सा नाम, पौराणिक हैं अर्थ

सभी देखें

नवीनतम

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा थे लाला लाजपत राय

क्यों एक पाकिस्तानी को मिला था भारत रत्न सम्मान , जानिए पूरी कहानी

पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण में क्या अंतर है, समझिए

दर्द महाकुंभ में खोए हुए जूतों का

महाकुंभ : न पलक झुकेगी, न मन भरेगा

अगला लेख