नारी पर कविता : मैं नारी...

तरसेम कौर
जितना घिसती हूं 
उतना निखरती हूं
परमेश्वर ने बनाया है मुझको 
कुछ अलग ही मिट्टी से
जैसा सांचा मिलता है 
उसी में ढल जाती हूं
कभी मोम बनकर 
मैं पिघलती हूं
तो कभी दिए की जोत 
बनकर जलती हूं
 
कर देती हूं रोशन 
उन राहों को 
जो जि‍द में रहती हैं 
खुद को अंधकार में रखने की
पत्थर बन जाती हूं कभी
कि बना दूं पारस 
मैं किसी अपने को
रहती हूं खुद ठोकरों में पर
बना जाती हूं मंदि‍र कभी 
सुनसान जंगलों में भी
 
हूं मैं एक फूल सी
जिस बिन 
ईश्वर की पूजा अधूरी
हर घर की बगिया अधूरी..!!
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

नमक-मिर्च वाली केरी खाने से पहुंचा रहे हैं सेहत को नुकसान, हो जाइये सावधान

लू लगने पर शरीर में दिखते हैं ये लक्षण, हीट स्ट्रोक से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय और ज़रूरी सावधानियां

गर्मियों में धूप में निकलने से पहले बैग में रखें ये चीजें, लू और सन टेन से होगा बचाव

इन कारणों से 40 पास की महिलाओं को वेट लॉस में होती है परेशानी

खुद की तलाश में प्लान करें एक शानदार सोलो ट्रिप, ये जगहें रहेंगी शानदार

सभी देखें

नवीनतम

पृथ्वी दिवस 2025: कैसे सुधारा जा सकता है धरती के पर्यावरण को?

ईस्टर पर 10 सुंदर और प्रेरणादायक धार्मिक विचार

यीशु मसीह की 10 प्रमुख कहानियां और उनका संदेश

ईसाई समुदाय में बनते हैं ईस्टर के ये पारंपरिक व्यंजन

विश्व लिवर दिवस पर जानिए इस दिन का महत्व, क्या है 2025 की थीम

अगला लेख