कविता : मैं ! नीर भरी कुंज लतिका-सी

Webdunia
निशा माथुर 
मैं ! नीर भरी कुंज लतिका-सी 
सांस-सांस महकी चंदन हो गई
छुई-अनछुई नवेली कृतिका-सी
पिय से लिपटन भुजंग हो गई!
 
अंगनाई पुरवाई महके मल्हार-सी 
रूप-रूप दर्पण मधुबन हो गई
प्रियतम प्रेम में अथाह अंबर-सी
मन राधा-सी वृंदावन हो गई!
 
गात वल्लरी हिल-हिल हर्षित-सी
तरुवर तन-मन पुलकन हो गई
मैं माधवी मधुर राग कल्पित-सी
मोहनी मूरत-सी मगन हो गई!
 
अनहद नाद उर की यमुना-सी
मन तृष्णा विरहनी अगन हो गई
भीगी अलकों की संध्या यौवना-सी
दृग नीर भरे नैनन खंजन हो गई!
 
मैं! विस्मित मौन विभा के फूल-सी
बूंद-बूंद घन पाहुन सारंग हो गई
बिंदिया खो गई मेरी सूने कपोल 
सांसों से महकी अंग अंग हो गई !
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पेट के लिए वरदान है जामुन, जानिए इसके चमत्कारी फायदे

सावधान! अधूरी नींद की वजह से खुद को ही खाने लगता है आपका दिमाग

पाकिस्तान में बेनाम सामूहिक कब्रों के पास बिलखती महिलाएं कौन हैं...?

मिस वर्ल्ड 2025 ने 16 की उम्र में कैंसर से जीती थी जंग, जानिए सोनू सूद के किस सवाल के जवाब ने जिताया ओपल को ताज

ऑपरेशन सिंदूर पर निबंध: आतंकवाद के खिलाफ भारत का अडिग संकल्प, देश के माथे पर जीत का तिलक

सभी देखें

नवीनतम

फादर्स डे 2025: इन 5 सुपरफूड्स को डाइट में जरूर करें शामिल, हर पुरुष की सेहत के लिए हैं बेहद जरूरी

कैंसर से बचाते हैं ये 5 सबसे सस्ते फूड, रोज की डाइट में करें शामिल

बाल गीत: गरम जलेबी

विवाह करने के पहले कर लें ये 10 काम तो सुखी रहेगा वैवाहिक जीवन

क्यों पुंगनूर गाय पालना पसंद कर रहे हैं लोग? जानिए वैदिक काल की इस अद्भुत गाय की विशेषताएं

अगला लेख