हिन्दी कविता : शब्दावली

गिरधर गांधी
शब्दों की बस्ती में दुनिया अपनी
शब्दावली का शागिर्द हूंं
मैंं शिक्षार्थी शांति से शब्दों को निहारूंं
शब्दों के इर्द-गिर्द मे खोया हूंं 

अर्थ प्रयोग पर्याय जाति अनुसार
शब्दो के कागजी निवास न्यारे-न्यारे
कोई डूबा है शहद में यारों 
तो कोई कटु शब्द नीम को प्यारे 




















ढूंंढ-ढूंंढकर दरवाज़ा खटखटाना
चाहत के शब्दों को निमंत्रण देता हूंं 
रोज नई एक कविता से विवाह अपना
शब्दों को बारी-बारी बारात में 
शामिल करता हूंं 

कोई कविता आनंदविभोर हो उठती 
तो कोई व्यथा की कथा सुनाती है
तरह-तरह के कि‍स्से-कहानी सुनाकर
राहें जि‍ंंदगी की सजाती है ...
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