कविता : आजादी पर गर्व हमें है

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शालिनी तिवारी 
आजादी पर गर्व हमें है और सदा तक बना रहेगा
जिन लोगों ने कुर्बानी दी उनका नाम अमर रहेगा
 
पर अंतिम जन को आजादी कब तक मिल पाएगी 
दुपहरिया में मजदूरों की मेहनत कब रंग लाएगी
 
उनकी सोच बदल जाए तो सच्ची आजादी होगी
भुखमरी पर पाबंदी ही सच्ची खुशहाली होगी




















झुग्गी झोपड़ियों में रहकर आंधी पानी सहते हैं
उनसे भी कुछ पूछो जिन पर जुर्म अभी भी ढहते हैं
 
कुछ लोग अभी भी अपना जिस्म बेचते फिरते हैं
आजादी को अब भी वो "आधी आजादी" कहते हैं
 
आस्तीन के सांप अभी भी हिंद वतन में पलते हैं
भारत माता को लेकर ये खूब सियासत करते हैं
 
कुछ लोगों को भारत का गौरव गान नहीं भाता
आतंकियों का महिमा मंडन बस इनको खूब सुहाता
 
अब तो मेरा दिल करता है कि झूमूं नाचू गाऊं मैं,
देश के अंति‍म जन को सच्ची आजादी दिलवाऊं मैं,
 
मेरे जीने का यह मकसद सच्ची आजादी दिलवाएगा,
गरीबी, भुखमरी और मन से सबको आजाद कराएगा
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