हिन्दी कविता : ये पल संवार लो

पुष्पा परजिया
ये एक पल है, ये पल अभी ही थाम लो 
वक्त कब जाएगा हाथों से निकल
बस इतना पहचान लो 
 
वक्त के तकाजों की समझ 
न समझ सका है आज तक कोई 
वक्त कैसा है जरा इसे पहचान लो 











कब लिबास बदल जाए किस्मत के, इस कीमती पल का 
इस बात को अब  मान लो
पल में बदल जाती है लोगों की दुनिया 
उस पल को अब तो पहचान लो 
 
कोई बना है रंक से राजा तो
कोई बना है राजा से रंक 
एक पल ही तो है जो कभी सब
दे जाए या सब ले जाए, इस बात को अब मान लो 
 
कभी चमक जाती है किस्मत तो कभी
खुशियां ले जाती है किस्मत 
ऐसे हवाओं के रुख को अब जान लो 
 
ऐसे ही स्नेह सरिता में डूबने के 
लम्हें दिए हैं खुदा ने गिन चुनकर
तो मिले हुए लम्हों से सिर्फ 
आनंद खुशियों के लम्हों को संजो लो
 
न गंवा देना इन लम्हों को नफरत की बंदगी से
बस सारे जहां को स्नेह की सरिता से भर दो
दोगे स्नेह प्रेम प्यार वापस आएगा उसी रूप में
तुम्हारे पास
 
सड़े पुराने विचारों को अब नई जमीं दे दो  
फैला दो चहुं ओर उजियारा प्यार भरा 
बह्मांड में फैली अनंत अंधकारमयी नफरत
अग्नि को प्यार की फुहार दो ...
Show comments

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

तपती धूप से घर लौटने के बाद नहीं करना चाहिए ये 5 काम, हो सकते हैं बीमार

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

समर में दिखना है कूल तो ट्राई करें इस तरह के ब्राइट और ट्रेंडी आउटफिट

Happy Laughter Day: वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

संपत्तियों के सर्वे, पुनर्वितरण, कांग्रेस और विवाद

World laughter day 2024: विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

अगला लेख