हिन्दी कविता : सजा

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'
प्रसव वेदना का दर्द 
झेल चुकी मां 
खुशियों के संग पाती 
नन्हें शिशु को । 
 
होठों से शीश चूमती 
तभी कल्पनाएं भी जन्म लेने लगती
उसके बड़े हो जाने की । 
नजर न लगे 
अपनी आंखों का काजल 
अंगुली से निकाल
लगा देती है टीका 
बीमारियों के टीके के साथ ।
 
भ्रूण हत्यारों को 
सजा दिलाना जरुरी है 
क्योंकि, कई मां 
ममतामयी निगाहों से 
आज भी खोज रही अपनी बच्चियों को । 
 
किंतु वे बेगुनाह   
मां के दूध का कर्ज 
कैसे अदा करेंगे ? 
जो इस दुनिया में 
Show comments

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

चित्रकार और कहानीकार प्रभु जोशी के स्मृति दिवस पर लघुकथा पाठ

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

Labour Day 2024 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?

अगला लेख