कविता : यादें

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'
गुजर गए अपनों की 
स्मृतियों को याद करके 
सोचता हूं, कितना सूनापन है 
उनके बिना 
घर की उनकी संजोई 
हर चीज को जब छूता हूँ 
तब उनकी जीवंतता का 
अहसास होने लगता 
डबडबाई आंखों/भरे मन से 
एलबम के पन्ने उलटता 
तब जीवन में उनके 
संग होने का आभास होता है 
 
उनकी बात निकलने पर 
अच्छाईयां मानस पटल पर 
स्मृतियों में ऊर्जा भरने लगती है 
 
कहते है स्मृतियां अमर है 
लेकिन यादों की ऊर्जा पर 
इसलिए कहा गया है कि 
करोगे याद तो हर बात 
याद आएगी।
Show comments

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

तपती धूप से घर लौटने के बाद नहीं करना चाहिए ये 5 काम, हो सकते हैं बीमार

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

समर में दिखना है कूल तो ट्राई करें इस तरह के ब्राइट और ट्रेंडी आउटफिट

Happy Laughter Day: वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

संपत्तियों के सर्वे, पुनर्वितरण, कांग्रेस और विवाद

World laughter day 2024: विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

अगला लेख