कविता : एक रात थी वह

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राजकुमार कुम्भज 
एक रात थी वह
एक रात में एक बरसात थी वह
बरसात की एक रात थी वह
 
एक बात थी वह
एक बात की रात थी वह
एक रात की बात थी वह
एक रात थी वह
भीगने-भिगाने की रात थी वह
एक रात में एक बरसात थी वह
बरसात की एक रात थी वह
 
आने पर जाने से बचती वह
जाने पर आने से बचती वह
आने में जाने की थी बात वह
जाने में आने की थी बात वह
आने-जाने में जाने-आने की
एक बात थी वह
 
बरसात की एक रात थी वह
एक रात थी वह।
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