वो तुमको कहानी सुनाने चला हूं

राकेशधर द्विवेदी
लिखी जो कहानी मैंने आंसुओं से
वो तुमको कहानी सुनाने चला हूं।
 
रो-रोकर रातें कैसे गुजारी
मैं बातें वफा की बताने चला हूं
मैं तुमको कहानी सुनाने चला हूं।
वो तुम्हारा मुस्कराना, वो फिर रूठ जाना
वो मेरी गजल पर ताली बजाना
वो मोहब्बत की बातें, वो प्यारी खुराफातें
मैं यादों को दिल से मिटाने चला हूं
तेरी याद में जो गजलें लिखी थीं
उन पन्नों को आज मैं जलाने चला हूं।
 
मेरी जिंदगी में कभी तुम थी आईं
मैं इस हकीकत को आज भुलाने चला हूं
लिखी जो कहानी मैंने आंसुओं से
वो तुमको कहानी सुनाने चला हूं।
 
देखे थे जो सपने तुम्हारे साथ जीने के
उन सपनों को नजरों से मिटाने चला हूं
वो तुमको कहानी सुनाने चला हूं।
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