हिन्दी कविता : अनोखा संगम

आत्माराम यादव 'पीव'
देखता हूं मैं,
ये बात कितनी अजीब है
चन्द्र और सूर्य गगन में
आज कितने करीब है। 
सूर्य किरण शर्माती लाल हो रही है
धरा कली से जैसे गुलाब हो रही है
ये प्रभात का चांद कुछ ऐसा भा रहा है
रोशनी से अपनी वह जग को लुभा रहा है
सूर्य चांद का प्रभात में, कुछ अनोखा ये संगम
क्यों दुनिया न बूझे, देख रूप ये बिहंगम।
वृक्ष झूम उठे, समीर लोरी सुना रहा है
बैठा दूर जंगलों में, सन्नाटा भी गा रहा है
जगतपति का अल्हाद, अस्तित्व लुटा रहा है
पात्र होगा वही उसका, अलख प्रेम की जो जगा रहा है
सोये हुओं को सतगुरु, नाद अनाहत जगा रहा है
'पीव' जागे हुओं का शुभ प्रभात आ रहा है। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

गर्मियों में अमृत के समान है गोंद कतीरा का सेवन, जानिए क्या हैं फायदे

गर्मियों में शरीर को ठंडक देंगे ये 5 ठंडी तासीर वाले ड्राई फ्रूट्स, जानें इनके हेल्थ बेनिफिट्स

लिवर में चर्बी जमा सकते हैं ये 10 फूड्स, क्या आप भी कर रहे हैं इनका सेवन?

जानिए दाल सब्जी में नींबू की कुछ बूंदें निचोड़ कर खाने से शरीर को मिलते हैं क्या फायदे

40 के आस - पास इस तरह अपना खयाल रखने से, मेनोपॉज की तकलीफ को कर सकती हैं कम

सभी देखें

नवीनतम

अपने भीतर के राम को पहचानिए! गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

इन लोगों के लिए वरदान है कुट्टू का आटा, ग्लूटेन-फ्री होने के साथ और भी हैं कई फायदे

कितनी गंभीर बीमारी है सिकल सेल एनीमिया, जानिए कारण और लक्षण

रामनवमी पर पढ़ें भगवान श्रीराम को समर्पित ये स्वरचित कविता: मेरे अपने सबके केवल एक ही राम, एक ही राम

क्या गर्मियों में गुड़ खाने से सेहत को होता है नुकसान, डाइट में शामिल करने से पहले जान लें

अगला लेख