कविता : अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद

पं. डॉ. भरत कुमार ओझा 'भानु' (सारस्वत)
किसी भी क्रांतिकारी-बलिदानी ने स्वतंत्र राष्ट्र में अपने लिए या अपनी आगामी पीढ़ी के  लिए तख्त-ओ-ताज नहीं मांगा।
किंतु विगत सत्तर वर्षों से वो स्वर्ग में बैठे सोचते होंगे- 'आख़िर किनके लिए हमने अपने  प्राणों को बलिवेदी पर टांगा?'
हमें क्षमा करना वीर 'आजाद'
हमने देश को कर दिया बर्बाद 
आज भी कर्तव्य-पथ पर हो रहे कई निसार
देश में थोड़े-बहुत हैं आज भी ईमानदार किरदार
पर सत्तर सालों से गहरी धंसी विकासशील की कील
पूर्ण विकसित हो जाता देश कभी का होते जो सभी सुशील 
लेकिन करोड़ो-करोड़ रुपयों के होते रहे घोटाले
भ्रष्टाचार-प्रपंच पर 'भानु' कोई तो ताला डाले।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

गर्मियों में अमृत के समान है गोंद कतीरा का सेवन, जानिए क्या हैं फायदे

गर्मियों में शरीर को ठंडक देंगे ये 5 ठंडी तासीर वाले ड्राई फ्रूट्स, जानें इनके हेल्थ बेनिफिट्स

लिवर में चर्बी जमा सकते हैं ये 10 फूड्स, क्या आप भी कर रहे हैं इनका सेवन?

जानिए दाल सब्जी में नींबू की कुछ बूंदें निचोड़ कर खाने से शरीर को मिलते हैं क्या फायदे

40 के आस - पास इस तरह अपना खयाल रखने से, मेनोपॉज की तकलीफ को कर सकती हैं कम

सभी देखें

नवीनतम

राम नवमी पर क्या क्या बनाएं, जानें 10 पारंपरिक भोग

राम नवमी पर कैसे बनाएं प्रभु श्रीराम की पसंदीदा पंजीरी का प्रसाद

रामनवमी पर पंचामृत क्यों बनाते हैं, जानें इसे बनाने की आसान विधि

रोम-रोम में राम बसे, भक्ति में डूबे इन शुभकामना संदेशों को भेज कर मनाएं राम जन्मोत्सव

महावीर जयंती 2025 पर निबंध: महावीर स्वामी के जीवन और शिक्षाओं से सीखें अहिंसा का पाठ

अगला लेख