उजालों को सताया जा रहा है,
अंधेरों को बसाया जा रहा है।
गरीबों की बढ़ी मुसीबत सुखद का,
दिया फिर से हवाला जा रहा है।
कटेगा हर जगह पैसा तभी तो,
जरूरत को मिटाया जा रहा है।
पलटकर सामना करने लगे जब,
पड़ोसी से चिढ़ाया जा रहा है।
पला है मुल्क मेरे ही यहां पर,
पलटवारे कराया जा रहा है
मरे जो देश सीमा पर हमारी,
दिलासा दे संभाला जा रहा है।
सदा से शांति का मैं दूत रहा हूं,
मुझे क्यों फिर उछाला जा रहा है।