फनी कविता : बहुत दिन हो गए

Webdunia
- एमएल मोदी (नाना)
 
जब करते थे यारों के बीच ठिठौली
वो वक्त गुजरे बहुत दिन हो गए!
 
किसी अपने को तलाश करते हुए,
एक अनजान शहर में आए-
बहुत दिन हो गए!
 
न मंजिल का पता है और न ही रास्ते की खबर,
फिर भी अनजानी राह पर चलते हुए-
बहुत दिन हो गए!
 
भीड़ तो बहुत देखी हमने इस जमाने में,
मगर इस भीड़ में कोई अपना देखे-
बहुत दिन हो गए!
 
जब मिलेगा कहीं वो हमें तो,
पूछेंगे यार कहां थे तुमसे मिले-
बहुत दिन हो गए!
 
और जो करते थे साथ निभाने की बातें,
उनसे बिछड़े 'नाना' को बहुत दिन हो गए!!
 
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