हिन्दी कविता : कविता खड़ी बाजार में...

सुशील कुमार शर्मा
साहित्यिक सब हो रहे, चबली-चोर-चकार।
जो जितना अकबक लिखे, उतना उत्तम रचनाकार।


 
वर्तमान साहित्य में, शब्द हुए कमजोर।
भाव-प्रवणता मर गई, मचा हुआ है शोर।
 
कविता खड़ी बाजार में, लूट रहे कवि लोग।
कुछ श्रृंगारों पर लिखें, कुछ की कलम वियोग।
 
अश्लीलों को मिल रहा, भारत-भूषण सम्मान।
पोयट्री मैनेजमेंट कर रहा, सरस्वती अपमान।
 
सम्मानों की भीड़ में, खो गया रचनाकार।
साहित्य सुधि को छोड़कर, अहं चढ़ा आचार।
 

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Lohri 2025 : इन फैशन आइडियाज से लोहड़ी के जश्न को बनाएं यादगार

Winter Health Tips : क्या सर्दियों में ज्यादा मैग्नीशियम आपकी सेहत का गेम चेंजर है?

रूम हीटर के साथ कमरे में पानी की बाल्टी रखना क्यों है जरूरी? जानें क्या है इसके पीछे का साइंस

अपने बेटे को दें श्रीमद्भगवद्गीता से प्रेरित खूबसूरत और अर्थपूर्ण नाम

Winter Fashion : सर्दियों में स्टाइल बनाए रखना चाहते हैं? अपनाएं ये 10 ड्रेसिंग रूल्स

सभी देखें

नवीनतम

पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी की पुस्तक 'पागलखाना' के अंग्रेज़ी अनुवाद 'द मैड हाउस' का विमोचन

सेहत का खजाना है सर्दियों का ये छोटा सा फल, इस विटामिन की होती है पूर्ति

स्माइलिंग डिप्रेशन, जब मुस्कुराते चेहरे के पीछे छिपा होता है गहरा दर्द, जानिए इस मेडिकल कंडीशन के लक्षण और बचाव

motivational quotes: गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती पर पढ़ें 10 मोटिवेशनल कोट्‍स

क्या छोटी-छोटी बातें भूलना है ब्रेन फॉग की निशानी, क्या हैं इस इस बीमारी के लक्षण

अगला लेख