हिन्दी कविता : मैं एक मजदूर हूं...

राकेशधर द्विवेदी
मैं एक मजदूर हूं
भगवान की आंखों से मैं दूर हूं


 
छत खुला आकाश है
हो रहा वज्रपात है
फिर भी नित दिन मैं
गाता राम धुन हूं
गुरु हथौड़ा हाथ में
कर रहा प्रहार है
सामने पड़ा हुआ
बच्चा कराह रहा है
फिर भी अपने में मगन
कर्म में तल्लीन हूं
मैं एक मजदूर हूं
भगवान की आंखों से मैं दूर हूं।
 
आत्मसंतोष को मैंने
जीवन का लक्ष्य बनाया
चिथड़े-फटे कपड़ों में
सूट पहनने का सुख पाया
मानवता जीवन को
सुख-दुख का संगीत है
मैं एक मजदूर हूं
भगवान की आंखों से मैं दूर हूं। 
Show comments

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

तरबूज काटकर रख देते हैं फ्रिज में तो बन सकता है जहर!

Sunglasses लेते समय इन 5 बातों का रखें ध्यान, आंखों को धूप से बचाएंगे इस तरह के चश्मे

जल्दी गल जाता है केला तो अपनाएं ये 5 आसान टिप्स

ज्यादा मीठा खाने से डायबिटीज के अलावा भी होती हैं ये 7 बीमारियां

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

23 अप्रैल : वर्ल्ड बुक एंड कॉपीराइट डे आज, जानें इतिहास और 2024 की थीम

क्या दुनिया का कोई देश वैसा धर्मनिरपेक्ष है, जैसी भारत से अपेक्षा की जाती है?

विश्व पृथ्वी दिवस पर इसके संरक्षण का लें संकल्प :गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

सियाह रात के सोनहला भोर होला आ गिरमिटिया एकर बेहतरीन उदाहरण बा :मनोज भावुक