कविता : हर एक ग़म को हर्फ़ में ढाला था

रीमा दीवान चड्ढा
हर एक ग़म को हर्फ़ में ढाला था
किसे कहां पता भीतर हाला था
 
लब की शोख हंसी चेहरे का नूर
ख़ुद को तपा कर उसने ढाला था
 
जिस्म की ज़रूरत जानते हैं सब
रूह की चाह को उसने पाला था
 
तुम नाम देते हो हुनर का जनाब
दर्द को आंसुओं में संभाला था
 
मीना ने मय में बहा दी ज़िंदगी
सलीका मुहब्बत का आला था
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

गर्मियों में इन हर्बल प्रोडक्ट्स से मिलेगी सनबर्न से तुरंत राहत

जल की शीतलता से प्रभावित हैं बिटिया के ये नाम, एक से बढ़ कर एक हैं अर्थ

भारत-पाक युद्ध हुआ तो इस्लामिक देश किसका साथ देंगे

बच्चों की कोमल त्वचा पर भूलकर भी न लगाएं ये प्रोडक्ट्स, हो सकता है इन्फेक्शन

पाकिस्तान से युद्ध क्यों है जरूरी, जानिए 5 चौंकाने वाले कारण

सभी देखें

नवीनतम

जानिए लिवर की समस्याओं से कैसे वेट लॉस पर पड़ता है असर

बेटे के लिए 'व' से शुरू होने वाले सुन्दर नामों की लिस्ट और उनके अर्थ

अपनी पत्नी को इस अंदाज में दीजिए जन्मदिन की बधाई, आपके प्यार से खिल उठेगा लाइफ पार्टनर का चेहरा

जानिए कितनी है वैभव सूर्यवंशी की नेट वर्थ , किस परिवार से आता है क्रिकेट का यह युवा सितारा?

एक ग्रह पर जीवन होने के संकेत, जानिए पृथ्वी से कितना दूर है यह Planet

अगला लेख