हिन्दी कविता : बूंद की मानिंद...

सुशील कुमार शर्मा
एक अहसास
बूंद की मानिंद
चिपका है तुम्हारे 
गुलाबी अस्तित्व में।
 
बहुत कोशिश के बाद
भी न झुठला सका
इस सत्य को
कि कोई रिश्ता तो है।
 
वो स्नेह जो छलकता है
जब तुम खुश होती हो
तो एक झरने सी बहती हो
मेरे मन के भीतर।
 
जब तुम उदास होती हो
तो एक खालीपन तैरता है
जिसमें मेरी खुशी डूब जाती है।
 
जब तुम प्रश्नवाचक 
की भूमिका में रहती हो तो
मेरे अंदर के उत्तर 
उतावले होते हैं 
तुम्हारे प्रश्नों के
हल तलाशते हुए।
 
न जाने क्यों तुम्हारे
अंग-प्रत्यंग से लेकर
तुम्हारी हर सांस पर
मेरे अस्तित्व की प्रत्यंचा
चढ़कर खिंच जाती है।
 
दिल चाहता है तुम सिर्फ
मेरे ही गीत सुनो
सिर्फ मेरी बातें करो
अपने अस्तित्व में सिर्फ
मुझे ही महसूस करो
लोक अभिव्यक्ति में
इसे क्या कहते हैं
पता नही हैं मुझे।
 
इस रिश्ते को कोई
नाम कैसे दे जबकि
नाम से रिश्ते सिर्फ
सिमट जाते हैं देह तक।
बंध जाते हैं बंधन में।
 
उसके आगे-पीछे का
कोई अस्तित्व नहीं रहता
एक स्निग्ध-सा रिश्ता
चिपका है बूंद की मानिंद
तुम्हारे गुलाब से अस्तित्व पर।
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

गर्मियों में इन हर्बल प्रोडक्ट्स से मिलेगी सनबर्न से तुरंत राहत

जल की शीतलता से प्रभावित हैं बिटिया के ये नाम, एक से बढ़ कर एक हैं अर्थ

भारत-पाक युद्ध हुआ तो इस्लामिक देश किसका साथ देंगे

बच्चों की कोमल त्वचा पर भूलकर भी न लगाएं ये प्रोडक्ट्स, हो सकता है इन्फेक्शन

पाकिस्तान से युद्ध क्यों है जरूरी, जानिए 5 चौंकाने वाले कारण

सभी देखें

नवीनतम

जानिए लिवर की समस्याओं से कैसे वेट लॉस पर पड़ता है असर

बेटे के लिए 'व' से शुरू होने वाले सुन्दर नामों की लिस्ट और उनके अर्थ

अपनी पत्नी को इस अंदाज में दीजिए जन्मदिन की बधाई, आपके प्यार से खिल उठेगा लाइफ पार्टनर का चेहरा

जानिए कितनी है वैभव सूर्यवंशी की नेट वर्थ , किस परिवार से आता है क्रिकेट का यह युवा सितारा?

एक ग्रह पर जीवन होने के संकेत, जानिए पृथ्वी से कितना दूर है यह Planet

अगला लेख