शरद पूर्णिमा पर कविता : पूर्णमासी का चाँद

Webdunia
लेखिका - निर्मला शुक्ला

सुनहरा थाल सा
तुम्हारा रूप
क्षितिज में जगमगा रहा
ओ पूर्णमासी के चाँद
स्वागत है तुम्हारा
मेरे आंगन में |

रात्रि के अंधकार को
चीरकर तुम
प्रकाश बिखेरते हो
मेरे आंगन में ही नहीं
सारा विश्व ही
प्रकाशित हो गया तुमसे |

इधर सरिता में प्रतिबिंबित रूप
तुम्हारा कितना निखर रहा ?
उधर मेघ तुम्हें अपने आंचल में
बार-बार छिपा रहा |

क्या तुमने ही
मोंगरे और रातरानी में
सुगन्धि भर दी है ?
क्या तुम्हारे ही सौन्दर्य से
प्रभावित होकर प्रेमी
प्रेमिका के मुख में
देखता है तुम्हें ?

तुम्हें छूने की उत्कट लालसा
केवल बालक राम में ही नहीं
अपितु आधुनिक मानव
नील आर्मस्ट्रांग में भी रहा |

लोग कहते हैं
कि तुममें जो दाग है
वह तुम्हारे भीतर की
ज्वालामुखी के कारण है |
यह कैसी विडम्बना है
कि ऊपर से तुम शान्त हो
और शीतलता ही देते हो सदा |

काश ! हम भी तुम्हारे जैसे
हृदय की ज्वाला छिपा कर

उज्ज्वलता, शीतलता बिखेरते ||

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

वजन घटाने से लेकर दिमाग तेज करने तक, माचा टी है सबका हल

मधुमेह रोगियों को सावन व्रत में क्या खाना चाहिए, जानें डायबिटिक व्रत भोजन की सूची और 6 खास बातें

क्यों आते हैं Nightmares? बुरे सपने आने से कैसे खराब होती है आपकी हेल्थ? जानिए वजह

बारिश के मौसम में बैंगन खाने से क्या होता है?

सावन में भोलेनाथ के इन 10 गुणों को अपनाकर आप भी पा सकते हैं स्ट्रेस और टेंशन से मुक्ति

सभी देखें

नवीनतम

शिक्षाप्रद कहानी: बुद्धिमान तेनालीराम और काली मिर्च

सावन में व्रत रख रहे हैं तो इन तीन योगासनों को करना न भूलें, बनी रहेगी फिटनेस

हिन्दी कविता: मल्लिकार्जुन श्री शैलम

कब ली गई थी भारत के नोट पर छपी गांधी जी की तस्वीर? जानें इतिहास

सावन में इस रंग के कपड़े पहनने की वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

अगला लेख