हे राम तुम फिर से इस धरा पर आओ

राकेशधर द्विवेदी
हे राम तुम फिर से,
इस धरा पर आओ।
 

 
नव सृजन के नवनिर्माण के,
गीत फिर से गाओ।
हे राम तुम फिर से,
इस धरा पर आओ।
 
भक्त अब फिर से डरे हैं,
संत भी सहमे खड़े हैं।
इस अंधकार और निशा से,
तुम हमें बचाओ।
हे राम तुम फिर से,
इस धरा पर आओ।
 
घर-घर और गांव-गांव में,
रावण राज्य कर रहा है।
बेबस हर व्यक्ति यहां पर,
केवल सांसें ले रहा है।
इस विकट और विषम परिस्थिति से,
तुम आके उबार जाओ।
हे राम तुम फिर से,
इस धरा पर आओ।
 
पशु-पक्षी कर रहे हैं क्रंदन,
शबरी कब से दर पर खड़ी है।
अहिल्या चौखट को निहारती,
भ्रूण  हत्या की कहानी कह रही है।
इस अजब दुखदायक घड़ी में,
नवसृजन, नवनिर्माण के गीत गाओ।
हे राम तुम फिर से,
इस धरा पर आओ।
 
धर्म और सत्य की,
पुनर्स्‍थापना कर जाओ।
हे राम तुम फिर से,
इस धरा पर आओ।
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