कविता : पेड़ एक मंदिर

जयति जैन 'नूतन'
हर पेड़ एक मंदिर है,
कोई नया, कोई पुराना।
कोई पतझड़ में बिखरा,
कोई बसंत में खिलता।
 
लेता कभी न कुछ,
देता नि:स्वार्थ भावपूर्ण।
छांव हो या शीतल हवा,
पुष्प हो या फल हो।
 
सिखाता हमेशा,
झुककर चलना,
मिलकर चलना।
वक्त का दामन थामे,
आसमां को छूना।
 
ना अंधेरों की चिंता,
ना उजाले से गिले।
सुकून मिलता उसे,
आकर जो बैठे तले।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

हड्डियों की मजबूती से लेकर ब्लड शुगर कंट्रोल में बहुत फायदेमंद है व्रत में खाई जाने वाली ये चीज, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

केमिकल फ्री स्किन चाहते हैं तो इस नैचुरल फेस मास्क को आजमाएं, भूल जाएंगे पार्लर के महंगे ट्रीटमेंट

सफेद बालों को नेचुरली काला करने के लिए बहुत असरदार है ये DIY नुस्खे

पीरियड के फ्लोर और कलर से समझ आती है फर्टिलिटी की सेहत, जानिए पीरियड हेल्थ से जुड़ी जानकारी

इस डिटॉक्स ड्रिंक को पीने से खिल उठेगा चेहरा, अंदर से महसूस होगी ताज़गी

सभी देखें

नवीनतम

इस महिला दिवस खुद की तलाश में प्लान करें एक शानदार सोलो ट्रिप, ये जगहें रहेंगी शानदार

1 महीने तक नमक न खाने से क्या होता है शरीर पर असर, सच्चाई जानकर रह जाएंगे दंग

रमजान में खाए जाने वाले खजूर हैं सेहत का खजाना, जानिए फायदे

केक लवर्स सावधान! केक से हो सकता है कैंसर, रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

अगला लेख