क्रांति का जलजला

डॉ. रामकृष्ण सिंगी
शनिवार, 26 नवंबर 2016 (18:57 IST)
अरबों की तादाद में 'देश का बड़ा नोट' बलिदान हुआ। 
उधर कालाधनपति घर बैठे लहूलुहान हुआ।।
स्वच्छ धनवालों के लिए तो सचमुच नया विहान हुआ।। 
वे ही चीखे-चिल्लाए जो अंधेरों में पिट गए। 
जिनके खजानों की जोड़ में एक के अंक के बाद के सारे शून्य मिट गए।।1।।
क्रांति जब भी आएगी एक बड़ा जलजला होगा। 
ऊंची लहरें उठेंगी, उथल पुथल का सिलसिला होगा। 
मिटेंगे रिश्वतखोर, आमजन का तो भला होगा। 
आमजन ने तो सचमुच असुविधा को बिना शिकवा वहन किया है। 
विरोधियों की चिल्लपों को नकार कर परेशानी को चुपचाप सहन किया है।।2।। 
 
चीखे वे जिनका एक दिन यही हश्र होना था। 
जिनके बाथरूमों में गड़ा धन, नोटों की गड्डियों का बिछोना था।। 
विलासिता के सरंजामों से सजा घर का हर एक कोना था। 
समझदार तो बैठे हैं प्रसन्न सुधारों के सूर्योदय में। 
उस सुधारकर्ता की समवेत जयकार करते हुए एक लय में।।3।।
Show comments

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

The 90's: मन की बगिया महकाने वाला यादों का सुनहरा सफर

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के साथ जा रहे हैं घूमने तो इन 6 बातों का रखें ध्यान

कार्ल मार्क्स: सर्वहारा वर्ग के मसीहा या 'दीया तले अंधेरा'

राजनीति महज वोटों का जुगाड़ नहीं है

जल्दी निकल जाता है बालों का रंग तो आजमाएं ये 6 बेहतरीन टिप्स

मॉरिशस में भोजपुरी सिनेमा पर व्‍याख्‍यान देंगे मनोज भावुक

गर्मी के मौसम में कितनी बार सनस्क्रीन लगाना चाहिए, जानिए सही समय

अगला लेख