लघुगीत : प्यार की उपासना

सुशील कुमार शर्मा
तांका 10
 

 
तुम्हें याद है
रेत के घरौंदों में
सजे सपने
किताबों के अंदर
प्रेम की रुबाइयां।
 
पिघला चांद
चांदनी की सरिता
बहता रूप
अलसाई आंखों में
रुपहले सपने।
 
ओस में भीगे
हमारे अहसास
चांदनी रात
चांद के उस पार
तेरा-सा अक्स दिखा।
 
नेह की भाषा
देह की परिभाषा
तुमसे शुरू
वासना से ऊपर
प्यार की उपासना।
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