पुलवामा में शहीद हुए जवानों को सादर समर्पित रचना- मातृभूमि

पं. हेमन्त रिछारिया
हे मातृभूमि तेरे चरणों में अंतिम वंदन करता हूं,
पुष्प नहीं पर पुष्प तुल्य ये शीश समर्पित करता हूं।
 
मां तेरी विरहा ने मुझको बहुत रुलाया
धन्यभागी हूं मैं जो तूने पास बुलाया
जिन रक्तकणों में प्यार तेरा है
वो हर कण समर्पित करता हूं।
पुष्प नहीं पर पुष्प तुल्य ये.....
 
तेरा ऋणी रहा जननी मैं तो सदा जीवन में
ऋण चुकाने आऊंगा फ़िर से मानव तन में
तुझको मैं अपना हर जन्म समर्पित करता हूं।
पुष्प नहीं पर पुष्प तुल्य ये ....
 
धन्य वो मां जो भेजे रण में प्राणों से भी प्यारा लाल
उसकी करे जहां प्रतीक्षा कदम-कदम पर कलिकाल
काल भी मैं मर्दन करके खलभाल समर्पित करता हूं।
पुष्प नहीं पर पुष्प तुल्य ये.....। 
 

कवि-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज क्या है? कब शुरू हुआ और किसे मिलता है? जानिए कौन रहे अब तक के प्रमुख विजेता

स्किन से लेकर डाइबिटीज और बॉडी डिटॉक्स तक, एक कटोरी लीची में छुपे ये 10 न्यूट्रिएंट्स हैं फायदेमंद

ये हैं 'त' अक्षर से आपके बेटे के लिए आकर्षक नाम, अर्थ भी हैं खास

अष्टांग योग: आंतरिक शांति और समग्र स्वास्थ्य की कुंजी, जानिए महत्व

पर्यावरणीय नैतिकता और आपदा पर आधारित लघु कथा : अंतिम बीज

सभी देखें

नवीनतम

शक्कर छोड़ने के पहले जान लें वो 8 जरूरी बातें जो आपको पहले से जान लेनी चाहिए

Operation Sindoor पर भाषण: सिन्दूर का बदला खून, अदम्य साहस और अटूट संकल्प की महागाथा

25 साल के शुभमन गिल की दूसरे खिलाड़ियों से तुलना गलत, नए कप्तान को गढ़ने दें अपनी कहानी

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

पुण्यतिथि विशेष: पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में 10 लाइन

अगला लेख