कब निकलेगा देश यात्रा पर अपनी?

श्रवण गर्ग
इससे पहले कि थक जाए वह यात्री
निकलना होगा देश को यात्रा पर!
सौंप दिए हैं पैर अपने
यात्री ने सब के बदले
नहीं पड़ेगा चलना ज़्यादा सबको
थामने के लिए सैलाब आंसुओं के
बह रहे हैं जो सालों से चुपचाप
सड़कों के दोनों बाजुओं पर!
 
सदियों में होती है ऐसी एक यात्रा
आदि शंकराचार्य की माटी से
बद्री-केदार के मंगल स्वरों की ओर!
दिलाना पड़ता है याद जिसमें लोगों को
उनका निर्मल अतीत, निर्मम यातनाएं
हो जाता है दिल उनका भी हल्का
रो लेने से थोड़ा सामने सबके
फूटने लगतीं हैं तब कोंपलें भी
ज़मीनों से, करार दी गई हैं जो बंजर
बही-खातों में सरकारों के!
 
नहीं देखना पड़ेगा दूर तक भी ज़्यादा
गिन रहा है यात्री सबके लिए
सूई के छेद से पीड़ाओं के पहाड़
तैरने लगेंगी सामने आंखों के—
वे अतृप्त आत्माएं तमाम
चली गई थीं जो यात्राओं पर अनंत की
गूंजने लगेगा बुझ चुके कानों में
उनका आर्तनाद
सुनाई देंगे बुदबुदाए दुःख भी साफ़!
 
बदल सकता है अगर
एक यात्री का साहस इतना कुछ!
बदली जा सकती है सूरत दुनिया की
निकल जाए सड़कों पर अगर
मुल्क एक सौ तीस करोड़ आत्माओं का!
गुज़र रहा है ‘अमृत काल’ भी इस समय
प्रसव वेदना से हज़ारों यात्राओं की!
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

चित्रकार और कहानीकार प्रभु जोशी के स्मृति दिवस पर लघुकथा पाठ

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

Labour Day 2024 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?

अगला लेख