कविता : जीवन सत्य कहां?

जयति जैन 'नूतन'
झूठे मंदिर
झूठे मस्जिद
झूठे चर्च यहां।
 
कोई ना समझे
कोई ना जाने
कोई ईश्वर है कहां?
 
पाषाण मूरत
पाषाण सूरत
पाषाण हृदय लिए।
 
अपराध निरंतर
अपराध भयंकर
अपराधी भाव लिए।
 
डरता जमाना
डरता फसाना
डरता गुलजार यहां।
 
जीवन है पतझड़
जीवन है पिंजरा
जीवन सत्य कहां?

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