हिन्दी कविता : आफत...

शम्भू नाथ
आती है जिंदगी में
आफत कभी-कभी,
पड़ती है जान लोगों की
सांसत में कभी-कभी।


 
देखो उत्तरांचल में
कैसी घटी कहानी,
हुआ विनाश ऐसा।
मिट गई निशानी।
 
कुदरत ऐसा अचंभा
दिखाती है कभी-कभी,
आती है जिंदगी में
आफत कभी-कभी,
 
पड़ती है जान लोगों की
सांसत में कभी-कभी,
कितने फंसे पड़े थे
कितने फंसे पड़े थे।
 
कितने बहे थे गंगा में
कितने सड़े पड़े थे,
देखा है इन आंखों ने
बर्बादी कभी-कभी।
 
आती है जिंदगी में
आफत कभी-कभी,
पड़ती है जान लोगों की
सांसत में कभी-कभी।
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