तुम्हारी कामना-परी

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संज्ञा सिं ह
NDND
तुम्हारी कामना-परी

नहीं बन सकी मैं

नहीं हो सकती

तुम्हारे इच्छित रूप-रंग की एक स्त्री

नहीं बन सकती मैं

तुम्हारे जैसे तर्क-पुरुषों की

कामना-परी

कविता हूँ मैं

कामना-परियों से

बहुत-बहुत बड़ी होती हैं

कविता-परियाँ

तर्क-पुरुषों और कामना-परियों से

अलग होती है

NDND
कविता-परियों की सपनीली दुनिया

जिसको नहीं सहेज सकता

कोई तर्क-पुरुष, कोई धन पुरुष!

कामना-परी

नहीं हो सकती मैं

कभी भी ऐसे लोगों के लिए!
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