मेरे शब्द-कंकर

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फाल्गुनी
NDND
शब्दों की गठरी से
चुने थे मैंने कुछ कंकर
कि फेंक सकूँ तुम पर,
हो जाए
तुम्हारा अस्तित्व छलनी
लेकिन ये तुम थे कि
लौटा दिए
शब्द-कंकर
फूलों के रूप में।
यूँ भी
भला कंकर से भी
कोई छलनी हुआ है?

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