शब्द-गंध

डॉ. पुष्पा रानी गर्ग

Webdunia
ND
अक्षर, जब
अपनी दिव्यता में,
ढल जाते हैं कविता में
महकने लगते हैं शब्द
भावों की अगुरु गंध से
वाणी में
भर जाती है मिठास
पावन गंगा की,
ह्रदय में
खिल उठता है खुलापन
आकाश का,
संवेदना,
रच देती है अदृश्य सूत्र
आस्था का,

शब्द-गंध
जो प्यार बन कर उतरती है
माँ के सीने में
किलकती है
शिशुओं के मृदुल हास में
जगमगाती है
भोर की सुनहरी उजास बन
दूब की हरियायी फुनगी पर


झरती है आकाश से
रूनझुन बरखा के छंद बन
अँकुआती है
माटी की नेह भीनी
देह में,
नचाती है मन मयूरों को
साँसों की अमराई में!

प्रकृति में सर्वत्र
अदृश्‍य ब्रह्म-सी छाई
शब्द-गंध,
यही तो सौरभ है
काव्य पुष्प का
जो महकता है आत्मा में
कविता बन कर!

ND
सुनो-
पहले ओढ़ लो
पर तितलियों के
फिर हौले से छूना
मेरी कविता को
तुम पा लोगे
उसमें बिछलती पावन महक
और भीग जाओगे भीतर की गहराई तक।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

कुत्तों के सिर्फ चाटने से हो सकती है ये गंभीर बीमारी, पेट लवर्स भूलकर भी न करें ये गलती

कब ली गई थी भारत के नोट पर छपी गांधी जी की तस्वीर? जानें इतिहास

सावन में इस रंग के कपड़े पहनने की वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

क्या ट्रैफिक पुलिस आपकी स्कूटी की चाबी ले सकती है? जानें कानूनी सच्चाई और अपने अधिकार

किस मुस्लिम देश से भारत आए हैं समोसा और जलेबी, जिनके लिए तम्बाकू और सिगरेट की तरह लिखना होगी चेतावनी

सभी देखें

नवीनतम

सोमवार सुविचार: पॉजिटिव सोच के साथ करें हफ्ते की शुरुआत

बरसात में कपड़ों से सीलन की स्मेल हटाने के लिए ये होममेड नुस्खा जरूर आजमाएं

क्या कुत्ते के पंजा मारने से रेबीज हो सकता है? जानिए इस डर और हकीकत के पीछे की पूरी सच्चाई

अगर हाथों में नजर आ रहे हैं ये लक्षण तो हाई हो सकता है कोलेस्ट्रॉल, न करें नजरअंदाज

तेजी से वेट लॉस करने के लिए आज से ही शुरू कर दें इंटरवल वॉकिंग, हार्ट और नींद में भी है असरदार