पिता ने कहा था चाहेंगे वे मुझसे छुटकारा पाना वे चीखे थे मां की ओर कि फेंक ही देंगे वे मुझे उस रात घर से बाहर
ये रात सितारों के प्रकाश से कोमल है शायद मिल ही जाए राह मुझे पास के गांव की लेकिन मान लो ठीक इसी वक्त जन्म ले लें वह तो
मेरी सिसकियों से संभवतः वह जाग उठा है शायद आना चाहता है वह बाहर कि देख सके आंसुओं से भीगा मेरा चेहरा लेकिन इस शीत में ठिठुरता रहेगा वह और मैं ढंक लूंगी उसे।