स्त्री हूँ मैं अपरूपा प्रकृति

Webdunia
संज्ञा सिं ह
NDND
एक
स्त्री हूँ मैं
अपररूपा प्रकृति
चल-अचल सम्पत्तियों की खान है
मेरे भीतर
हमसे ही निकलते हैं विचार
हरे होते हैं सपने
मिलता है जीवन रस
मैं आनंद रूपा हूँ
स्त्री-प्रकृति पूरी-पूरी।

दो

स्त्री हूँ मैं
जीवनदायी शक्ति से
भरी आकण्ठ
स्नेहमयी, ममतामयी
ज्वालामुखी साथ-साथ,
रेतकण-स्वर्णकण
मुझमें ही बनते हैं
डीजल-पेट्रोल बन
जलते हैं मेरे रस
जलना राख होना है
नहीं जलना चाहती मैं
मैं प्रकृति हूँ, हरी-भरी
अनंत सपनों से
रत्न मैं, मैं प्रकृति बचाओ!

ती न

NDND
हरियाली हूँ मैं
हरियाली का होना
बहुत-बहुत जरूरी है जीवन के लिए
हरियाली में ही
जीते हैं विचार
व्यवहार जीते हैं हरियाली में
जीती हैं वनस्पतियाँ
अपनी पहचान बनाती हैं इन्हीं से
हरियाली
मनुष्यता का पहला पाठ है
प्रकृति है स्त्री
हरियाली उसकी आत्मा है
स्त्री हूँ मैं अपरूपा प्रकृत ि।
Show comments

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

चित्रकार और कहानीकार प्रभु जोशी के स्मृति दिवस पर लघुकथा पाठ

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

Labour Day 2024 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?