प्रेम लघुकथा : निशब्द...

भीका शर्मा
एक शब्द जिसे हर रोज न जाने कितनी बार कहा होगा परंतु आज अचानक उसी शब्द को कहना है परंतु दिल है कि सही मौके के इंतजार में है। शब्द तो वही है परंतु इस बार उसे एक अलग एम्बियंस (माहौल) चाहिए। सुबह 5 बजे उठी जिंदगी अब 10 बजे के करीब पहुंच चुकी है परंतु रोजमर्रा की आम बातचीत में भी वह शब्द अनुपस्थित हैं। दो जिंदगियां ऑफिस पहुंच जाती है और थोड़ी खामोशी वहां भी स्पष्ट दिखाई देती है। शाम को ऑफिस छूटने के थोडा पहले एक‍ जिंदगी का फोन दूसरी के पास आता है परंतु फिर वही बात थोड़ी-सी खामोशी शब्दों पर भारी पड़ जाती है। सिर्फ एक स्वीकारोक्ति और जिंदगियां चल पड़ती है एक रेस्त्रां की खामोश टेबल पर आमने-सामने बैठने।

कैंडल लाइट में एक जिंदगी अपने हाथ बढ़ाती है दूसरी जिंदगी को थामने और फिर एक छोटे गिफ्ट के साथ धीरे से सुनाई देता है वह शब्द जिसके कारण दिन भर से बाते कम और खामोशी ज्यादा थी। और फिर उस शब्द को सुनने के बाद जिंदगी की वह थोड़ी सी खामोशी और बढ़ जाती है, वह बदल जाती है पूर्ण खामोशी में और अब बातें करती है तो सिर्फ आंखें..निशब्द...
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो