लघु कहान‍ी : नश्वर से प्रेम

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- चंद्रेश कुमार छतलानी

'अंधकार अब तू जा...' उगते हुए सूर्य ने गर्व से कहा।
 
अंधकार खामोश और स्थिर रहा।
 
'मेरी रोशनी तुझे खत्म कर देगी...।'
 
'.........'
 
सूर्य की किरणें अंधेरे को चीरते हुए आगे बढ़ीं, लेकिन रास्ते में जो कोई वस्तु-व्यक्ति आया उनसे टकराकर खत्म हो गईं और उनकी छाया में दिखाई दे रहा अंधकार अपने अमरत्व पर मुस्कुरा रहा था।
 
लेकिन कई इंसानों की आंखें तब भी रोशनी की तलाश कर रही थीं।

 

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