बहाना

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- डॉ पिलकेंद्र अरोर ा
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उसके एक मित्र की माँ की अचानक मृत्यु हो गई। जेठ की 44 डिग्री वाली तपती दोपहरी में शवयात्रा में जाकर कौन-तपे... यह सोच वह शवयात्रा में शामिल नहीं हुआ। जिस शाम उठावना था, उस समय उसके घर कपल किटी पार्टी थी। वह अपना मूड खराब कर पार्टी का मजा भी किरकिरा करना नहीं चाहता था।

उसने सोचा किसी दिन शोक की बैठक में दोनों पति-पत्नी जाकर मातमपुर्सी कर आएँगे। पर आज-कल करते-करते बैठक के दिन भी समाप्त हो गए। तेरहवें के दिन उसे बिजनेस टूर पर अचानक शहर से बाहर जाना पड़ा।

इन दिनों वह किसी बहाने की तलाश कर रहा है ताकि मित्र के मिलने पर बता सके कि वह उसके शोक में शामिल क्यों नहीं हो सका।

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