राम और काम में तालमेल

Webdunia
शनिवार, 13 सितम्बर 2014 (17:18 IST)
मुरारी बापू की रामकथारूपी गंगा की प्रेम-यात्रा पिछले 52-54 सालों से हजारों मनुष्यों का प्रत्यक्ष और लाखों का टीवी के माध्यम से स्नान कराकर स्वच्छता और प्रसन्नता का अनुभव करा रही है जिससे लोगों को आनंद और शांति का अनुभव होता है। 
 

ये प्रेम-यात्रा कैलास मानसरोवर, राक्षसताल, अमरनाथ और भुसुन्डि सरोवर तक की कठिनाई को और दुनिया के लगभग सभी देशों तक बिना प्रयास सहज ही पहुंच गई है, मगर इस बार विशेष तीर्थ खजुराहो को इस प्रेम-यात्रा ने चुना है। 
 
इस खजुराहो की प्रेम-यात्रा में मुरारी बापू 9 दिन तक हमसे राम के दिए हुए काम पर बातें करेंगे जिससे हमारी जिंदगी में दोनों का ताल-मेल एक हारमनी (Harmony) बन जाए फिर काम समस्या नहीं रहेगा और आनंदपूर्ण संगीत अंतरनाद सुनाई दे सकता है, अंतरवीणा बज सकती है, यदि ठीक से सुना जा सके।
 
इस प्रेम-यात्रा में बापू के हमसफर आप भी बिना किसी शर्त के (यानी जब चाहे यात्रा में) शामिल हो जाओ, जब चाहे अलग हो जाओ) बन सकते हैं। आपकी स्वतंत्रता का पूरा सम्मान यहां है और आपको यहां कोई कीमत भी नहीं चुकानी है, क्योंकि बापू की इस यात्रा के पड़ाव की जो जिम्मेदारी लेता है, वो सबकी प्रेमपूर्वक रहने और खाने की नि:शुल्क व्यवस्था भी करता है। ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है और इस प्रेम-यात्रा के पड़ाव की जिम्मेदारी लेने के लिए लोगों की लाइन बापू के पास रहती है‍ जिसे बापू हां कह देते हैं, वो अपने को भाग्यशाली समझता है। 
 
सचेत श्रद्धा मुक्ति है
भावुकतापूर्ण श्रद्धा गुलामी है
यंत्रवत् श्रद्धा मूढ़ता है
 
इस रामकथा को खजुराहो में हजारों की संख्या में सुनने को लोग देश और विदेश से आ रहे हैं। 13 सितंबर 2014 को कथा शाम 4 बजे से प्रारंभ होकर 7 बजे तक होगी। 14 सितंबर से 21 सितंबर 2014 तक सुबह 9.30 से 1.30 तक कथा होगी। टीवी पर इस कथा का Live प्रसारण भी होगा।
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