Bhadrapad amavasya 2024: भाद्रपद अमावस्या को पिठोरी अमावस्या क्यों कहते हैं?

WD Feature Desk
शनिवार, 31 अगस्त 2024 (11:41 IST)
Pola Pithora Amavasya 2024
Bhadrapada Amavasya 2024: भाद्रपद की अमावस्या को कुशोत्पाटनी, कुशग्रहणी अमावस्या के साथ ही पिथौरा या पिठोरी अमावस्या भी कहते हैं। इसे पिथौरा, पोला पिठोरा या पिठोरी अमावस्या कहने के पीछे एक कारण है। इस बार यह अमावस्या 2 सितंबर 2024 सोमवार के दिन रहेगी। सोमवार के दिन होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाएगा।
 
क्यों कहते हैं पिठोरी अमावस्या?
1. भाद्रपद अमावस्या को पिठोरी अमावस्या भी कहते हैं क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित महिलाओं द्वारा संतान प्राप्ति एवं अपनी संतान के कुशल मंगल के लिए व्रत रखकर देवी दुर्गा की पूजा करती हैं। माता पार्वती ने इंद्राणी को इस व्रत का महत्व बताया था
 
2. अमावस्या तिथि को पितरों की तिथि माना जाता है। इसलिए भी इसे पिथौरा अमावस्या कहते हैं। इस दिन स्नान, दान, तर्पण और पिंडदान का महत्व है। अमावस्या तिथि पर शनिदेव का जन्म भी हुआ था। इसलिए यह दिन शनि दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति का दिन भी है। भाद्रपद का माह श्रीकृष्ण का माह है। इसलिए इस माह और अमावस्या पर कृष्‍ण पूजा का भी महत्व है। इस दिन सूर्य ग्रहण भी हो तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
 
3. पिथौरा को पीपल, पितृ, पृथ्‍वी, इंदीराजा और मां दुर्गा से जोड़कर देखा जाता है। आदिवासी और भील समाज में पिथौरा पूजा का खास महत्व माना गया है। पिथौरा एक तरह की पेंटिंग कला भी है। 
Bhadrapad amavasya 2024
4. पोला-पिठोरा मूलत: यह त्योहार कृषि आधारित पर्व है। इस पर्व का मतलब खेती-किसानी, जैसे निंदाई, रोपाई आदि का कार्य समाप्त हो जाना है। भाद्रपद कृष्ण अमावस्या को यह पर्व विशेषकर महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है। इस दिन पुरुष पशुधन (बैलों) को सजाकर उनकी पूजा करते हैं। स्त्रियां इस त्योहार के वक्त अपने मायके जाती हैं। छोटे बच्चे मिट्टी के बैलों की पूजा करते हैं।
 
5. महाराष्‍ट्रीयन परिवारों में पोळा पर्व के दिन घरों में खासतौर पर पूरणपोळी (साटोरी) और खीर बनाई जाती है। बैलों को सजाकर उनका पूजन किया जाता है फिर उन्हें पूरणपोळी और खीर भी खिलाई जाती है। शहर के प्रमुख स्थानों से उनकी रैली निकाली जाती है। इस अवसर पर बैल दौड़ और बैल सौंदर्य प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसमें अधिक से अधिक किसान अपने बैलों के साथ भाग लेते हैं। खास सजी-संवरी बैलों की जोड़ी को इस दौरान पुरस्कृत भी किया जाता है।
 
6. पिठोरी अमावस्या पर पोला (पोळा) पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए चौसष्ठ योगिनी और पशुधन का पूजन किया जाता है। इस अवसर पर जहां घरों में बैलों की पूजा होती है, वहीं लोग पकवानों का लुत्फ भी उठाते हैं। इसके साथ ही इस दिन 'बैल सजाओ प्रतियोगिता' का आयोजन किया जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Job and business Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों के लिए करियर और पेशा का वार्षिक राशिफल

मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का महत्व, इस दिन क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए?

क्या आप नहीं कर पाते अपने गुस्से पर काबू, ये रत्न धारण करने से मिलेगा चिंता और तनाव से छुटकारा

Solar eclipse 2025:वर्ष 2025 में कब लगेगा सूर्य ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा और कहां नहीं

सभी देखें

धर्म संसार

27 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

27 नवंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Family Life rashifal 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों की गृहस्थी का हाल, जानिए उपाय के साथ

Health rashifal 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों की सेहत का हाल, जानिए उपाय के साथ

मार्गशीर्ष माह के हिंदू व्रत और त्योहारों की लिस्ट

अगला लेख