चंद्रयान 3 : चांद के बारे में हिन्दू धर्म और विज्ञान की पुस्तकों में लिखी हैं ये 10 रोचक बातें

Webdunia
Hindu dharma and chandrama : चंद्रयान 3 के तहत भारत चंद्रमा के दक्षिणी भाग पर अपना रोवर उतारने वाला है। चंद्रमा पर इसके उतरने का समय करीब 23 अगस्त 2023 शाम को 6 बजकर 04 मिनट पर रहेगा। ऐसे में अब चांद को लेकर लोगों में जिज्ञासा बढ़ गई है। हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार चंद्रमा के बारे में क्या कहा गया है। आओ जानते हैं चंद्रमा के बारे में रोचक जानकारी।
 
1. सभी व्रत रखे जाते हैं चंद्रमा पर आधारित : हिन्दू धर्म के अधिकतर व्रत चंद्रमा की गति पर ही आधारित रहते हैं। जैसे दूज का चांद, गणेश चतुर्थी, करवा चौथ, एकादशी या प्रदोष का व्रत, पूर्णिमा, अमावस्या आदि सभी पर व्रत रखा जाता है जिससे चंद्र दोष भी दूर होता है।
 
2. चंद्र गति पर आधारित त्योहार : होली, रक्षाबंधन, दीपावली, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा आदि सभी चंद्रमा से जुड़े ही पर्व या त्योहार हैं।
 
3. चंद्र देव या ग्रह : हिन्दू ग्रंथों के अनुसार अत्रि और अनुसूया के पुत्र चंद्रमा एक देवता हैं जिन्हें चंद्र ग्रह का अधिपति देव कहा गया है। इसके भाई दत्तात्रेय और दुर्वासा ऋषि हैं। चंद्रमा की उत्पत्ति ब्रह्मा के अंश से, दत्तात्रेय की विष्णु जी के अंश से और दुर्वासा ऋषि की उत्पत्ति शिवजी के अंश से हुई। पुराणों अनुसार चंद्र नामक एक राजा थे जिन्होंने चंद्रवंश की स्थापना की थी।
 
4. शिवजी के भक्त चंद्रमा : चंद्रमा को सोम भी कहते हैं जो भगवान शिव के भक्त हैं और इन्होंने ही सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।
 
6. चंद्रमा की पत्तियां : अत्रि पुत्र चन्द्रमा ने बृहस्पति की पत्नी तारा से विवाह किया जिससे उसे बुध नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ, जो बाद में क्षत्रियों के चंद्रवंशी का प्रवर्तक हुआ। इस वंश के राजा खुद को चंद्रवंशी कहते थे। इसके अलावा चंद्र देव ने प्रजापति दक्ष की 27 कन्याओं से विवाह किया था।
7. समुद्र मंथन से निकले चंद्रमा : देव और दानवों द्वारा किए गए सागर मंथन से जो 14 रत्न निकले थे उनमें से एक चंद्रमा भी थे जिन्हें भगवान शंकर ने अपने सिर पर धारण कर लिया था। इस तरह हमने जाना की चंद्र नामक एक राजा थे और चंद्र नामक एक रत्न भी, जिसे पुराणों ने ग्रह का दर्जा दिया।
 
8. चंद्रमा और विज्ञान : सौरमंडल का 5वां सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा पृथ्‍वी के सबसे नजदीक है। पृथ्वी से लगभग 3,84,365 किलोमीटर दूर चंद्रमा का धरातल असमतल है और इसका व्यास 3,476 किलोमीटर है तथा द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 1/8 है। पृथ्वी के समान इसका परिक्रमण पथ भी दीर्घ वृत्ताकार है। सूर्य से परावर्तित इसके प्रकाश को धरती पर आने में 1.3 सेकंड लगता है। चन्द्रमा, पृथ्वी की 1 परिक्रमा लगभग 27 दिन और 8 घंटे में पूरी करता है और इतने ही समय में अपने अक्ष पर एक घूर्णन करता है। यही कारण है कि चन्द्रमा का सदैव एक ही भाग दिखाई पड़ता है।
 
9. विज्ञान अनुसार कैसे जन्मा चंद्रमा : चंद्रमा लगभग 4.5 करोड़ वर्ष पूर्व धरती और थीया ग्रह (मंगल के आकार का एक ग्रह) के बीच हुई भीषण टक्कर से जो मलबा पैदा हुआ, उसके अवशेषों से बना था। यह मलबा पहले तो धरती की कक्षा में घूमता रहा और फिर धीरे-धीरे एक जगह इकट्टा होकर चांद की शक्ल में बदल गया। अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लाए गए पत्‍थरों की जांच से पता चला है कि चंद्रमा और धरती की उम्र में कोई फर्क नहीं है। इसकी चट्टानों में टाइटेनियम की मात्रा अत्यधिक पाई गई है।
 
10. पुराणों में चंद्रलोक : हिन्दू धर्म में यमलोक और पितृलोक की स्थिति चंद्रमा के पास पास बताई गई है। चंद्रलोक में ही पितृलोक का स्थान है। धर्म शास्त्रों के अनुसार पितरों का निवास चंद्रमा के ऊर्ध्व भाग में माना गया है। आत्माएं यहीं पर मृत्यु के बाद 1 से लेकर 100 वर्ष तक मृत्यु और पुनर्जन्म की मध्य की स्थिति में रहती हैं। यहां उनके कर्मों का न्याय होता है।
 
श्राद्ध पक्ष में ही पितर चंद्रलोक से आते हैं- आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ऊपर की किरण (अर्यमा) और किरण के साथ पितृ प्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है। सूर्य की सहस्त्रों किरणों में जो सबसे प्रमुख है उसका नाम 'अमा' है। उस अमा नामक प्रधान किरण के तेज से सूर्य त्रैलोक्य को प्रकाशमान करते हैं। उसी अमा में तिथि विशेष को चंद्र (वस्य) का भ्रमण होता है, तब उक्त किरण के माध्यम से चंद्रमा के ऊर्ध्व भाग से पितर धरती पर उतर आते हैं इसलिए श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि का महत्व भी है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

तुलसी विवाह देव उठनी एकादशी के दिन या कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन करते हैं?

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

आंवला नवमी कब है, क्या करते हैं इस दिन? महत्व और पूजा का मुहूर्त

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

सभी देखें

धर्म संसार

Saptahik Muhurat 2024: नए सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग 11 से 17 नवंबर

Aaj Ka Rashifal: किन राशियों के लिए उत्साहवर्धक रहेगा आज का दिन, पढ़ें 10 नवंबर का राशिफल

MahaKumbh : प्रयागराज महाकुंभ में तैनात किए जाएंगे 10000 सफाईकर्मी

10 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

10 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख