हर युग में प्रासंगिक है भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पर निबंध 600 शब्दों में

WD Feature Desk
सोमवार, 31 मार्च 2025 (18:13 IST)
Essay on lord rama in hindi: भगवान श्रीराम भारतीय संस्कृति और धर्म के आधार स्तंभ माने जाते हैं। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने पूरे जीवन में धर्म, सत्य, कर्तव्य और मर्यादा का पालन किया। श्रीराम का जीवन केवल एक कथा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है, जिससे हम जीवन में आदर्श व्यवहार, संयम, और सत्य की राह पर चलने की सीख ले सकते हैं।
 
श्रीराम का जीवन परिचय
श्रीराम त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र थे। वे विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं, जिनका जन्म पृथ्वी से अधर्म और असत्य को समाप्त करने के लिए हुआ था। रामायण में महर्षि वाल्मीकि ने उनके जीवन का विस्तार से वर्णन किया है। राम का जीवन आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भाई, और आदर्श राजा का उदाहरण है।
 
श्रीराम के जीवन से मिलने वाली सीख
श्रीराम के जीवन से हमें कई महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं। उन्होंने हर परिस्थिति में अपने कर्तव्यों का पालन किया और धर्म के मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए। जब पिता दशरथ ने उन्हें 14 वर्षों के लिए वनवास जाने का आदेश दिया, तब उन्होंने बिना किसी प्रश्न के आज्ञा का पालन किया। इससे हमें सिखने को मिलता है कि माता-पिता की आज्ञा का पालन करना हमारे कर्तव्य में शामिल है।
 
वनवास के दौरान उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन कभी भी धैर्य नहीं खोया। माता सीता के हरण के बाद भी उन्होंने क्रोध में आकर अनुचित मार्ग नहीं अपनाया, बल्कि धैर्य और रणनीति से कार्य किया। इससे हमें धैर्य और संयम का मूल्य समझने को मिलता है।
 
मर्यादा और कर्तव्य पालन का संदेश
श्रीराम ने जीवन भर धर्म और सत्य का पालन किया। उन्होंने रावण का वध करके यह सिद्ध किया कि अन्याय और अधर्म चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की हमेशा विजय होती है। उन्होंने लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद विभीषण को राजा बनाया, जिससे हमें सिखने को मिलता है कि जीतने के बाद भी अहंकार से दूर रहना चाहिए।
 
श्रीराम ने अपने राज्यकाल में न्याय और सत्य को प्राथमिकता दी। 'रामराज्य' एक ऐसे आदर्श शासन का प्रतीक है, जिसमें हर व्यक्ति सुखी और सुरक्षित था। उनके इस दृष्टिकोण से हमें सिखने को मिलता है कि एक सच्चा नेता वही होता है जो प्रजा के हितों को सर्वोपरि रखे।
 
श्रीराम की भक्ति और आदर्श प्रेम
श्रीराम और माता सीता का प्रेम त्याग और निष्ठा का प्रतीक है। उन्होंने अपने जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना किया, लेकिन एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सम्मान बनाए रखा। इससे हमें सिखने को मिलता है कि सच्चे रिश्ते त्याग और विश्वास की बुनियाद पर टिके होते हैं।
 
निष्कर्ष
भगवान श्रीराम केवल हिंदू धर्म के एक पूजनीय देवता ही नहीं, बल्कि एक ऐसे आदर्श व्यक्तित्व हैं, जिनका जीवन संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है। उनके जीवन से हमें सत्य, धर्म, कर्तव्य, त्याग, धैर्य और मर्यादा का पाठ मिलता है। अगर हम श्रीराम के बताए गए मार्ग पर चलें, तो हमारा जीवन भी सफल और सुखमय बन सकता है। 
ALSO READ: शिवाजी महाराज पर रोचक निबंध

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

साप्ताहिक पंचांग 31 से 06 तक, जानें अप्रैल 2025 के पहले सप्ताह के शुभ मुहूर्त

Uttarakhand : चारधाम तीर्थयात्रियों के लिए स्वास्थ्य परामर्श जारी, श्रद्धालुओं से आवश्यक दवाइयां रखने को कहा

नवरात्रि की चतुर्थ देवी मां कूष्मांडा की कथा

नवरात्रि की पांचवीं देवी मां स्कंदमाता की कथा

नवरात्रि की छठी देवी मां कात्यायनी की कथा

सभी देखें

धर्म संसार

Ram Navami 2025: कैसे मनाएं श्रीराम जन्मोत्सव

श्रीराम नवमी पर 10 लाइन में जानिए भगवान राम की महिमा और इस दिन से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें

लक्ष्मी पंचमी व्रत कब रखा जाता है, क्या है इसका महत्व?

चैत्र नवरात्रि में महानिशा पूजा क्या होती है, कैसे करते हैं पूजन, जानिए शुभ मुहूर्त

राम नवमी 2025: भगवान श्रीराम के प्रति श्रद्धा और प्रेम से भरी 20 शानदार शुभकामनाएं और बधाई संदेश

अगला लेख