कृष्ण भक्ति : ब्रज की रज पर दोहे...

सुशील कुमार शर्मा
ब्रज रज की महिमा अमर, ब्रज रस की है खान,
ब्रज रज माथे पर चढ़े, ब्रज है स्वर्ग समान।
 
भोली-भाली राधिका, भोले कृष्ण कुमार,
कुंज गलिन खेलत फिरें, ब्रज रज चरण पखार।
 
ब्रज की रज चंदन बनी, माटी बनी अबीर,
कृष्ण प्रेम रंग घोल के, लिपटे सब ब्रज वीर।
 
ब्रज की रज भक्ति बनी, ब्रज है कान्हा रूप,
कण-कण में माधव बसे, कृष्ण समान स्वरूप।
 
राधा ऐसी बावरी, कृष्ण चरण की आस,
छलिया मन ही ले गयो, अब किस पर विश्वास।
 
ब्रज की रज मखमल बनी, कृष्ण भक्ति का राग,
गिरिराज की परिक्रमा, कृष्ण चरण अनुराग।
 
वंशीवट यमुना बहे, राधा संग ब्रजधाम,
कृष्ण नाम की लहरियां, निकले आठों याम।
 
गोकुल की गलियां भलीं, कृष्ण चरणों की थाप,
अपने माथे पर लगा, धन्य भाग भईं आप।
 
ब्रज की रज माथे लगा, रटे कन्हाई नाम,
जब शरीर प्राणन तजे मिले, कृष्ण का धाम।
 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

इस मंदिर में है रहस्यमयी शिवलिंग, दिन में तीन बार बदलता है रंग, वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए हैं रहस्य

कुंभ राशि में अस्त हो रहे हैं शनि, इन 5 राशि वाले जातकों की बढ़ेंगी मुश्किलें

क्या होगा अरविंद केजरीवाल का राजनैतिक भविष्य? क्या कहते हैं उनकी कुंडली के सितारे?

होली पर चंद्र ग्रहण से किन 3 राशियों पर होगा इसका नकारात्मक प्रभाव?

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें, रह जाएंगे भोलेनाथ की कृपा से वंचित

सभी देखें

धर्म संसार

जानकी जयंती 2025: माता सीता का जन्म कब और कैसे हुआ था?

Mahashivratri 2025: कैसे करें महाशिवरात्रि का व्रत?

Aaj Ka Rashifal: इन 5 राशियों को मिलेगा आज कारोबार में अपार धनलाभ, पढ़ें 17 फरवरी का दैनिक भविष्यफल

17 फरवरी 2025 : आपका जन्मदिन

17 फरवरी 2025, सोमवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख