Mahalaxmi Vrat 2025: 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत में क्या करते हैं?

WD Feature Desk
शनिवार, 30 अगस्त 2025 (16:51 IST)
2025 Mahalaxmi vrat : महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक चलने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसमें भक्त मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान करते हैं। यह व्रत धन, समृद्धि और सौभाग्य के लिए रखा जाता है। इस वर्ष महालक्ष्मी व्रत 2025 31 अगस्त, रविवार से शुरू होकर 14 सितंबर, रविवार तक चलेगा। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है और भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर समाप्त होता है।ALSO READ: Mahalakshmi Vrata 2025: महालक्ष्मी व्रत कब रखा जाएगा, कब होगा समापन, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
 
महालक्ष्मी व्रत के दौरान किए जाने वाले कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:
 
• 16 दिनों का व्रत: यह व्रत 16 दिनों तक चलता है, जिसमें भक्त पूरे श्रद्धाभाव से उपवास रखते हैं। कुछ लोग पूरे 16 दिन का उपवास करते हैं, जबकि कुछ लोग पहले, आठवें और अंतिम दिन का व्रत करते हैं।
 
• कलश स्थापना: व्रत के पहले दिन, यानी भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को, भक्त अपने पूजा स्थल पर कलश स्थापित करते हैं। इस कलश को जल और चावल से भरकर, उस पर आम के पत्ते और सुपारी रखकर उसे सजाया जाता है।
 
• महालक्ष्मी की पूजा: महालक्ष्मी व्रत के दौरान हर दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भक्त देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाते हैं, धूप, अगरबत्ती, फूल और भोग (जैसे कि खीर या मिठाई) चढ़ाते हैं।
 
• 16 गांठ वाला धागा: व्रत के दौरान, भक्त अपने हाथ में 16 गांठों वाला एक धागा (डोरक) बांधते हैं। ये 16 गांठें देवी लक्ष्मी के 16 रूपों का प्रतीक मानी जाती हैं।ALSO READ: Mahalakshami Muhurat 2025? महालक्ष्मी ज्येष्ठा गौरी व्रत कब से कब तक, जानिए शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि
 
• महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ: हर दिन महालक्ष्मी व्रत की कथा का पाठ किया जाता है, जो इस व्रत के महत्व और लाभों को बताता है।
 
• अर्घ्य और भोग: पूजा के बाद, देवी को अर्घ्य (जल) और भोग अर्पित किया जाता है।
 
• दान: व्रत के अंतिम दिन, या उद्यापन के दिन, दान करने का विशेष महत्व है। भक्त अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन दान करते हैं।
 
• शुक्रवार का विशेष महत्व: महालक्ष्मी व्रत के दौरान पड़ने वाले शुक्रवारों का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि यह दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इन दिनों में विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।
 
यह व्रत भक्ति, त्याग और दान का प्रतीक है, और यह माना जाता है कि इसे श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
 
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