होली के रंग, राशियों के संग

ग्रह भी डालते हैं एक दूसरे पर रंग

- पं. प्रेमकुमार शर्मा
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सदियों से मानव ने प्रत्येक बुराई को अच्छाई में, प्रत्येक दुःख को सुख में बदलने के लिए प्रयास किए। इन प्रयासों में जब कभी वह सफल हुआ तो इसे एक उत्सव, विजय के रूप में मनाने के लिए आतुर हुआ। ऐसे ही जीवन में सुख, शांति, जोश, उल्लास, परस्पर प्रेम, भाईचारा बढ़ाने के लिए होली का रंगबिरंगा पर् व मनाया जाता है।

होली का परम पावन पर्व प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी 28 फरवरी 2010 से 1 मार्च 2010 में सम्पूर्ण मानव जीवन में प्रेम, उमंग, हँसी-खुशी के रंग घोलने की उत्सुकता बढ़ा रहा है।

यह त्योहार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा से प्रतिपदा के मध्य मनाया जाता है। यह समृद्ध, गौरवशाली भारतीय संस्कृति का ऐसा अनूठा त्योहार है जो हमारे निकट सम्पूर्ण वातावरण को विशेष रूप से सकारात्मक बनाता है। रंग हमें केवल लुभाते ही नहीं, बल्कि हमारे मन और शरीर पर प्रत्यक्ष रूप से असर भी डालते हैं।

सूरज की लाली, धरती की हरियाली, चंदा की चाँदनी और गगन मण्डल में सतरंगी इंद्रधनुष का आकर्षण मानव के पंच महाभूत स्थूल शरीर को सदैव लुभाता रहता है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विविध प्रकार के रंग समाहित हैं। इस पंचभूत शरीर में भी कई तरह के रंगों का मिश्रण है। जैसे-पृथ्वी तत्त्व का रंग बैंगनी व नारंगी, जल का हरा एवं नीला, पावक (अग्नि) का लाल, व पीला, हवा का बैंगनी और आकाश का रंग प्रायः नीला है।

नवग्रह व बारह राशियाँ भी विविध प्रकार के रंगों व तत्वों की होती हैं। जैसे- सूर्य का रक्त (लाल) वर्ण, नारंगी व सुनहला तथा चंद्रमा का सफेद, मंगल का लाल, बुध का हरा, शुक्र का रंग सफेद, बृहस्पति (गुरू) का पीला, शनि का काला व नीला, राहु का काला और केतु का रंग चितकबरा होता है।

इस रंगीले होली के पावन पर्व में सभी नौ ग्रह चलते हुए एक दूसरे पर रंग डालते हैं। मंगल व शुक्र का मिलन बड़ा ही रोचक होता है। मंगल हमें जोश व उत्साह प्रदान करता है। शुक्र हमें सांसारिक खुशियाँ प्रदान कर जीवन व मन को प्रसन्न बनाता है।

बुध का रंग हरा है जो उन्नति और प्रसन्नता का सूचक है यह रिश्तों में प्रेम और चाहत को बनाए रखने हेतु प्रेरित करता है तथा रिश्तों को घनिष्ठता के सूत्र में पिरो के रखता है। उन्हें टूटने नहीं देता और मजबूती तथा आपसी विश्वास को भी बढ़ाता है। दिलों को मिला उनमें हँसी-खेल व मित्रता की भावना को बढ़ाता है। हमारे चेहरे पर सुन्दरता का नूर खिलाता है। यह तंत्रिका तंत्र का स्वामी है।

शुक्र का सफेद रंग मानसिक शांति का और मंगल का लाल रंग जोश व उमंग का सूचक है। सूर्य जो कि विश्वात्मा है यह हमारे जीवन को ओज और ऊर्जा से भर देता है। इसका रंग नारंगी व सुनहला है जो हमारे आपसी संबंधो को मजबूती प्रदान कर चेहरे को खिला देता है।

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चंद्रमा का रंग सफेद है। यह हमारी कल्पनाशक्ति व मानसिक शक्ति का स्वामी है। यह मन की शांति व खूबसूरती का सूचक ग्रह है। यह हमारे मनोभावों तथा मनोकामनाओं को साकार करने के द्वार खोलता है। दो दिलों में मेल कराता है उन्हें आपस में जोड़ता है यह मन का स्वामी है।

बृहस्पति (गुरू) का रंग पीला होता है। यह ग्रह वैभव व समृद्धि का सूचक है। इसे बुद्धि का स्वामी तथा विवेक का रंग भी कहा जाता है। भारतीय वांग्मय में शुभ कार्यो में पीले वस्त्र का विषेश महत्त्व है। इस रंग से खुशियाँ बढ़ती हैं। ज्ञान प्राप्त होता है व ऊर्जा मिलती है। सौभाग्य तथा बुद्धि में वृद्धि होती है।

शनि का रंग काला व नीला होता है। नीला रंग प्रसन्नता व शांति का सूचक है। नीला रंग हमें शांति ही नहीं देता, बल्कि हमारी चेतना शक्ति को भी प्रभावित करता है। शनि ग्रह रात का स्वामी है। काली रात में हल्के नीले रंग के बल्ब का प्रयोग शयन कक्ष में किया जाए तो सुखद व गहरी नींद भी आती है। यह रंग सिर्फ नींद ही नहीं देता बल्कि हमारे जीवन के अति विशिष्ट रिश्तों को मधुरता और मजबूती प्रदान कर उनमें मिठास घोल देता है।

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शनि कालपुरूष की कुण्डली में दशम व एकादश भाव का स्वामी होता है। यह ग्रह हमारे अंदर मजबूती व गंभीरता को जागृति करता है। अभिलाषाओं की पूर्ति कर भाग्य को भी मजबूत बनाता है। हमारे शरीर में रंग सदैव एक विशेष प्रभाव व उत्साह छोड़ते हैं। चाहे वह होली के रंग हो या फिर किसी मांगलिक कार्यक्रमों के, दुल्हन की बिंदिया या चूड़ी के रंग हो, या फिर बहन-भाई के रक्षा सूत्रों के रंग, खाने के रंग हो या फिर घर सजाने के रंग हो, सभी रंग हमारे शरीर और मन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।

सफेद रंग शरीर में महत्वाकांक्षा को, केसरिया व भगवा रंग बलिदान व त्याग को, लाल रंग उत्तेजना को, काला रंग चिंतन व रहस्य को उत्पन्न करता है। पीला रंग ताप उत्पन्न करता है और हरा रंग शरीर में सर्दी व गर्मी के संतुलन को बनाए रखता है। नीला रंग मन को शांत तथा गंभीर बनाता है। लाल रंग जीवन में ऊर्जा शक्ति का विशेष संचार करता है।

अतः होली के पावन अवसर पर इसका प्रयोग आपके जीवन में अधिक से अधिक उत्साह ऊर्जा शक्ति तथा मधुरता घोलेगा। तत्त्वों, रंगों व गुणों की विविधता होते हुए भी नवग्रह समूह एक दूसरे पर परस्पर प्रेम रंगों की बरसात कर सकते हैं, तो क्या आप भी मानव जीवन में प्रेम रंगों की ऐसी सजीव बरसात नहीं कर सकते...? जो उसे सुख, आनंद, उत्साह व माधुर्य से भर दें।

विभिन्न राशियों हेतु होली के सौभाग्यवर्धक रंग ।

मेष (21 मार्च-अप्रैल 20): भाग्यशाली रंग लाल और पीला
वृष (अप्रैल 21-मई 20): भाग्यशाली रंग ऑरेंज और परपल (जामुनी)
मिथुन (21 मई-21 जून): भाग्यशाली रंग हरा और परपल
कर्क (22 जून-22 जुलाई): भाग्यशाली रंग नीला और हरा
सिंह (23जुलाई-23 अगस्त): भाग्यशाली रंग गोल्डन पीला और ऑरेंज
कन्या (24अगस्त-23 सितंबर): भाग्यशाली रंग ऑरेंज और परपल
तुला (24 सितंबर-23 अक्टूबर): भाग्यशाली रंग गुलाबी और ऑरेंज
वृश्चिक (24अक्टूबर-22 नवम्बर): भाग्यशाली रंग लाल, पीला और हरा
धनु (23नवम्बर-21 दिसंबर): भाग्यशाली रंग पीला और लाल
मकर (22 दिसंबर-20 जनवरी): भाग्यशाली रंग गुलाबी और लाल
कुंभ (22 जनवरी-19 फरवरी): भाग्यशाली रंग गुलाब ी, नीला और लाल
मीन (20फरवरी- 20 मार्च): भाग्यशाली रंग हरा और ऑरेंज

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