होलाष्टक 2020 : भक्त प्रह्लाद को दी गई थी यातनाएं, इसलिए है अशुभ 8 दिन का समय

Webdunia
Holashtak 2020

होलाष्टक शुभ क्यों नहीं होता है? इसके संबंध में दो पौराणिक कथाएं हैं जो भक्त प्रह्लाद और कामदेव से जुड़ी हुई हैं।
 
होली से पूर्व 8 दिनों के समय को होलाष्टक कहते हैं, जो इस वर्ष 02 मार्च से लेकर 09 मार्च तक है। अपशगुन के कारण इसमें मांगलिक कार्यों को करना वर्जित होता है।
 
होलाष्टक होली से पहले के 8 दिनों को कहा जाता है। इस वर्ष होलाष्टक 02 मार्च से प्रारंभ हो रहा है, जो 09 मार्च यानी होलिका दहन तक रहेगा। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा ​तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। 09 मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 10 मार्च को रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाएगा। होलाष्टक के 8 दिनों में मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है। इस समय मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है। होलाष्टक में तिथियों की गणना की जाती है। मतांतर से इस बार होलाष्टक 03  मार्च से प्रारंभ होकर 09 मार्च को समाप्त माना जा रहा है, ऐसे में यह कुल 7 दिनों का हुआ। लेकिन तिथियों को ध्यान में रखकर गणना की जाए तो यह अष्टमी से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक है, ऐसे में दिनों की संख्या 8 होती है। ज्यादातर विद्वान भानु सप्तमी 2 मार्च से इसका आरंभ मान रहे हैं। 
 
होलाष्टक शुभ क्यों नहीं होता है? इसके संबंध में दो पौराणिक कथाएं हैं, जो भक्त प्रह्लाद और कामदेव से जुड़ी हुई हैं। आइए जानते हैं कि भक्त प्रह्लाद और कामदेव के साथ ऐसा क्या हुआ था, कि होलाष्टक अशुभ माने जाने लगा।

 
होलाष्टक में भक्त प्रह्लाद को दी गई थी यातनाएं
 
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए अनेक प्रकार की यातनाएं दी थीं। भक्त प्रह्लाद को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा ​तिथि तक कई प्रकार की यातनाएं दी गईं, उनको मारने का भी प्रयास किया गया। लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार उनके प्राणों की रक्षा की।
 
आठवें दिन यानी फाल्गुन पूर्णिमा की रात हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को अपने बेटे के साथ अग्नि में बैठाने की योजना बनाई, ताकि वह जलकर मर जाए और भगवान विष्णु की भक्ति से मुक्ति मिले। उसके राज्य में कोई भगवान विष्णु का नाम न ले।
 
योजना के अनुसार, होलिका भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। होलिका ने अपने दिव्य वस्त्र पहन रखे थे, ताकि अग्नि से उसका बाल भी बांका न हो, लेकिन भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई कि प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर मर गई। इस कारण से हर वर्ष होली से पूर्व रात को होलिका दहन होता है। होलिका दहन से पहले के आठ दिनों को होलाष्टक कहते हैं और यह अशुभ माना जाता है।
 
भगवान शिव ने कामदेव को किया था भस्म
 
होलाष्टक को अशुभ मानने का एक कारण यह भी है कि भगवान शिव ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को कामदेव को भस्म कर दिया था। कामदेव का अपराध यह था कि उन्होंने भगवान शिव की तपस्या भंग करने का प्रयास किया था। कामदेव की पत्नी रति ने उनके अपराध के लिए शिवजी से क्षमा मांगी, तब भोलेनाथ ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व

अगला लेख